गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

कविता : " आपसी व्यवहार "

 " आपसी व्यवहार " 
हम लड़ते नहीं है, 
संभलते है। 
गुस्से में हो फिर भी हस्ते है ,
छोटी सी बात पर नाराज़ नहीं होते हम। 
ना ही बदला चुकाते है ,
अरे भूल जाते भूतकाल की बातो को ,
बस आपसी व्यवहार जताते है। 
तुम जैसे मुँह नहीं बनाते ,
न ही दिखावा करते है हम। 
बस किसी तरह संभल जाए ये जहाँ ,
इसलिए आपसी व्यवहार 
जताते है .................। 
कवि :  सुल्तान कुमार,  कक्षा 11th,
अपना घर।