" आपसी व्यवहार "
हम लड़ते नहीं है,
संभलते है।
गुस्से में हो फिर भी हस्ते है ,
छोटी सी बात पर नाराज़ नहीं होते हम।
ना ही बदला चुकाते है ,
अरे भूल जाते भूतकाल की बातो को ,
बस आपसी व्यवहार जताते है।
तुम जैसे मुँह नहीं बनाते ,
न ही दिखावा करते है हम।
बस किसी तरह संभल जाए ये जहाँ ,
इसलिए आपसी व्यवहार
जताते है .................।
कवि : सुल्तान कुमार, कक्षा 11th,
अपना घर।
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर
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