" कोरोना का कहर "
कोरोना ने मचा दिया तबाही,
सब परेशां हो गए मेरे भाई |
कोई खोज नहीं पाया इसकी दवाई,
कुछ परेशां हुए ,कुछ बच न पाई |
फिर भी कोरोना का पेट न भर पाई |
कोरोना ने छोड़ा अपना कहर,
गांव हो या फिर हो कोई शहर |
घर में पड़े पड़े हो रहे परेशां,
अब क्या करें यही है समाधान |
कवि : कामता कुमार , :कक्षा : 8th, अपना घर
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