" चिड़िया "
चिड़िया चह -चह चहाती है,
फुदक -फुदक सबका मन भरती है |
कभी एक डाली पर आती है,
कभी दूसरी डाली पर उड़ जाती |
फिर उड़ती है चुगती दाना,
बच्चो को है उन्हें खिलाना |
एक -एक कर गाती गाना,
आ जाती है घर के अंदर,
बच्चों को देती ज्ञान का समंदर |
फिर उड़कर बाहर जाती है,
डाली -डाली पर मंडराती है |
चिड़िया चह चह चहाती है | |
कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
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