शनिवार, 21 मार्च 2020

कविता : चिड़िया

" चिड़िया "

चिड़िया चह -चह चहाती है,
फुदक -फुदक सबका मन भरती है | 
कभी एक डाली पर आती है,
कभी दूसरी डाली पर उड़ जाती | 
फिर उड़ती है चुगती दाना,
बच्चो को है उन्हें खिलाना | 
एक -एक कर गाती गाना,
आ जाती है घर के अंदर,
बच्चों को देती ज्ञान का समंदर |
फिर उड़कर बाहर जाती है,
डाली -डाली पर मंडराती है | 
चिड़िया चह चह चहाती है | | 

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नवलेश को कवितायेँ बहुत अच्छी लगती है और कवितायेँ लिखते भी हैं | हमें उम्मीद है की नवलेश भविष्य में बहुत सी कवितायेँ लिखेंगें | इस कविता में एक चिड़िया के बारे में प्रस्तुत किया है |

कोई टिप्पणी नहीं: