गुरुवार, 9 मई 2019

कविता : पीड़ा

" पीड़ा "

जब मैं बैठा था एक खाली रोड पर,
पीड़ा होने लगी कसके मेरे दिमाग पर |
मैं सोच रहा था अपने इतिहास पर,
जो नहीं दिखा कुछ खास |
मैंने सोचा अपने आने वाले कल पर,
मैं बदल सकता था अगले साल पर |
अब मैं जीना चाहता हूँ एक नई जिंदगी,
जिसमें मिले मुझे ढेर ख़ुशी |
मैं बदल दूँगा उस दुःख समय को ,
जिससे मेरे जिंदगी में बस ख़ुशी हो |


कवि : सुल्तान , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सुल्तान को खेल खेलना बहुत अच्छा लगता है | सुल्तान बहुत ही अच्छा बच्चा है |

कोई टिप्पणी नहीं: