" पीड़ा "
जब मैं बैठा था एक खाली रोड पर,
पीड़ा होने लगी कसके मेरे दिमाग पर |
मैं सोच रहा था अपने इतिहास पर,
जो नहीं दिखा कुछ खास |
मैंने सोचा अपने आने वाले कल पर,
मैं बदल सकता था अगले साल पर |
अब मैं जीना चाहता हूँ एक नई जिंदगी,
जिसमें मिले मुझे ढेर ख़ुशी |
मैं बदल दूँगा उस दुःख समय को ,
जिससे मेरे जिंदगी में बस ख़ुशी हो |
कवि : सुल्तान , कक्षा : 5th , अपना घर
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