" एक बात "
बैठा था जब मैं खिड़की के पास,
सोच रहा था बैठ एक बात |
जब आया वह खेल याद,
खेल रहा था मैं दिन - रात |
हार गया तो क्या हुआ,
लेकिन जीतूँगा मैं भी एक बार |
चोट लगी तो क्या हुआ,
मेहनत करना है एक साथ |
चला गया मैं पृथ्वी से पार,
बैठा था जब मैं खिड़की के पास |
नाम : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की कक्षा 5 के विद्यार्थी है | सुल्तान मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर नामक संस्था में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | सुल्तान को खेलना बहुत अच्छा लगता है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें