" सागर बन जाऊँ "
मन करता है सागर बन जाऊँ,
नदियों के संग मैं मिल जाऊँ |
कभी बिहार तो कभी कश्मीर,
पूरी दुनियाँ की सैर कर आऊँ |
चले मेरे ऊपर से ठंडी समीर,
गाए बस मेरे बारे में कबीर |
चाहे हो वो अमीर या हो गरीब,
अच्छा हो जाए सभी का नसीब |
कवि : समीर कुमार कक्षा : 9th , अपना घर
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