रविवार
मेरे दिमाग में है ख़ास - बात ।
जो भटक रही है रातो -रात ।।
लोग रविवार को छुट्टी क्यों मनाते हैं ।
रविवार को ही बाजार क्यों जाते है ।।
स्कूल हो या बैंक , कल कारखाना ।
रविवार को ही छुट्टी मनान।।
लोग शनिवार को हही छुट्टी क्यों नहीं मनाते है ।
लोग रविवार को स्कूल क्यों नहीं खुलवाते है ।।
आखिर इतहास क्या ? रविवार का ।
इतना महत्व क्यों है , रविवार का ।।
दोस्त कहे रविवार को आना ।
मेरे घर में खाना खाना ।।
आखिर रविवार है क्या ?
इसका इतिहास मुझको बतलाओ ।
रविवार , रविवार रविवार ,रविवार ।।
तुम्हारा इतिहास है बड़ा अनजाना ।
मेरे दिमाग में है ख़ास - बात ।
जो भटक रही है रातो -रात ।।
लोग रविवार को छुट्टी क्यों मनाते हैं ।
रविवार को ही बाजार क्यों जाते है ।।
स्कूल हो या बैंक , कल कारखाना ।
रविवार को ही छुट्टी मनान।।
लोग शनिवार को हही छुट्टी क्यों नहीं मनाते है ।
लोग रविवार को स्कूल क्यों नहीं खुलवाते है ।।
आखिर इतहास क्या ? रविवार का ।
इतना महत्व क्यों है , रविवार का ।।
दोस्त कहे रविवार को आना ।
मेरे घर में खाना खाना ।।
आखिर रविवार है क्या ?
इसका इतिहास मुझको बतलाओ ।
रविवार , रविवार रविवार ,रविवार ।।
तुम्हारा इतिहास है बड़ा अनजाना ।
नाम : मुकेश कुमार
कक्षा : 11
अपनाघर ,कानपुर
2 टिप्पणियां:
मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
lagta nahi aap ki soch itni gehri hai par koi baat nahi is ravivar ko dhundhna padega
aakhir kya raaj hai is ka
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