"कुछ तो सीखो"
बहुत कुछ सीखने को मिलता है ।
हमें अपने वातावरण मे ।।
बन जाता है मौसम अचानक ।
पानी गिराने लगता है गगन से ।।
नहीं किसी को पराया समझाना ।
कभी - कभी धूप में छाया भी करना ।।
लेकिन नहीं सीख पाते है हम कुछ ।
अपने वातावरण और गगन से ।।
अपने ब्रम्हाण्ड और धरती से सीखो ।
एक दूसरे की सहायता करना सीखो ।।
बहुत कुछ सीखने को मिलता है ।
हमें अपने वातावरण मे ।।
बन जाता है मौसम अचानक ।
पानी गिराने लगता है गगन से ।।
नहीं किसी को पराया समझाना ।
कभी - कभी धूप में छाया भी करना ।।
लेकिन नहीं सीख पाते है हम कुछ ।
अपने वातावरण और गगन से ।।
अपने ब्रम्हाण्ड और धरती से सीखो ।
एक दूसरे की सहायता करना सीखो ।।
नाम : ज्ञान कुमार, कक्षा : 9, अपना घर ,कानपुर
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत सुंदर....
बहुत अच्छी कविता ज्ञान बेटा !:-)
ऐसे ही लिखते रहो...
~May God Bless you !!!
वाह ..बालमन के मोती ...
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