बेजुबान जानवर
क्या आप इन बेजुबानो....
को सुन सकते है,
क्या आप इनकी भलाई....
में कुछ कर सकते हैं,
क्या है इनकी आशा....
इन भले इंसानों से,
क्या आप समझ सकते....
हैं दर्द बेजुबानों के ,
ये बेजुबान जानवर....
कुछ बोल रहे है,
इनकी बातों को क्या....
आप सुन रहे हैं,
दिन पर दिन बड़े-बड़े....
जंगल क्यों काटे जा रहे,
इन बेजुबान जानवरों के....
घर क्यों उजाड़े जा रहे हैं,
पल-पल क्षण-क्षण....
अब ये घटते जा रहे,
मनुष्य जैसे इस दुनिया में....
अत्याचारी बढते जा रहे,
मरे जा रहे हैं जानवर....
बनाये जा रहे हैं बंदी,
आज कल इनके लिए भी....
उपलब्ध है सुविधा चकबंदी,
अब इनकी सुविधा के लिए भी....
अपने हाथ बढाओ,
इस हरियाली हीन धरती पर....
बेजुबानों की दुनिया बसाओ,
इनकी भलाई तुम करो....
तो जरा मन से,
कैसा हो रहा है महसूस....
पूछ कर तो देखो इनसे,
मन ही मन दे रहे होंगे....
ये बेजुबान दुआएं,
शब्दों को नहीं इनकी भावनाओं को....
समझने का कष्ट उठायें,
क्या आप इन बेजुबानो....
को सुन सकते है,
क्या आप इनकी भलाई....
में कुछ कर सकते हैं,
क्या है इनकी आशा....
इन भले इंसानों से,
क्या आप समझ सकते....
हैं दर्द बेजुबानों के ,
ये बेजुबान जानवर....
कुछ बोल रहे है,
इनकी बातों को क्या....
आप सुन रहे हैं,
दिन पर दिन बड़े-बड़े....
जंगल क्यों काटे जा रहे,
इन बेजुबान जानवरों के....
घर क्यों उजाड़े जा रहे हैं,
पल-पल क्षण-क्षण....
अब ये घटते जा रहे,
मनुष्य जैसे इस दुनिया में....
अत्याचारी बढते जा रहे,
मरे जा रहे हैं जानवर....
बनाये जा रहे हैं बंदी,
आज कल इनके लिए भी....
उपलब्ध है सुविधा चकबंदी,
अब इनकी सुविधा के लिए भी....
अपने हाथ बढाओ,
इस हरियाली हीन धरती पर....
बेजुबानों की दुनिया बसाओ,
इनकी भलाई तुम करो....
तो जरा मन से,
कैसा हो रहा है महसूस....
पूछ कर तो देखो इनसे,
मन ही मन दे रहे होंगे....
ये बेजुबान दुआएं,
शब्दों को नहीं इनकी भावनाओं को....
समझने का कष्ट उठायें,
लेखक :-सोनू कुमार
कक्षा :-10
अपना घर
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