बसंत ऋतु
बादल आ गए फिर....
पानी भर कर अपने अंदर,
रात में था खूब उजाला....
सुबह दिखा आसमान सिर्फ काला-काला,
फिर तो चली हवा-हवाई....
खेतों में सरसों लहराई,
पक्षी उड़े हैं बिना लगाये जोर....
चारों ओर मचा है सर्दी का शोर,
सभी पौंधो में लगी है डाली....
किसने पौंधो के पत्ते किये खाली,
फिर बादल जोर-जोर से गरजा....
मम्मी बोली बेटा जल्दी सो जा,
बरसा पानी बहे सभी नाले नाली....
फिर देखा तो पौंधो में कोपें निकली,
देख कर ये सौन्दर्य नजारा मेरे में को भाया....
क्योंकि अब बसंत ऋतु का मौसम आया,
बादल आ गए फिर....
पानी भर कर अपने अंदर,
रात में था खूब उजाला....
सुबह दिखा आसमान सिर्फ काला-काला,
फिर तो चली हवा-हवाई....
खेतों में सरसों लहराई,
पक्षी उड़े हैं बिना लगाये जोर....
चारों ओर मचा है सर्दी का शोर,
सभी पौंधो में लगी है डाली....
किसने पौंधो के पत्ते किये खाली,
फिर बादल जोर-जोर से गरजा....
मम्मी बोली बेटा जल्दी सो जा,
बरसा पानी बहे सभी नाले नाली....
फिर देखा तो पौंधो में कोपें निकली,
देख कर ये सौन्दर्य नजारा मेरे में को भाया....
क्योंकि अब बसंत ऋतु का मौसम आया,
लेखक :-आशीष कुमार
कक्षा :-9
अपना घर
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