गर्मी इस भीषण काल गर्मी में , सूख गयी हैं नदिया सारी.... परेशान हैं हर मनुष्य, क्यों बरसा नहीं पानी.... इस भीषण काल गर्मी में, अगर पानी को हैं पाना..... तो हर हाल में होगा वृक्ष लगना, इस भीषण काल गर्मी में.....
बिलकुल सच कहा है आपने...पानी चाहिए तो पेड़ लगायें..तभी तो मैंने अपनी एक कविता में लिखा है कि...पेड़ हमारे जीवनदाता...इनसे जन्म जन्म का नाता.......इसलिए ...आओ ...हम सब मिलकर पेड़ लगायें....पेड़ हैं तो हम हैं..
6 टिप्पणियां:
garmee to hain magar tum esake liye kya kar raho
बिलकुल सच कहा है आपने...पानी चाहिए तो पेड़ लगायें..तभी तो मैंने अपनी एक कविता में लिखा है कि...पेड़ हमारे जीवनदाता...इनसे जन्म जन्म का नाता.......इसलिए ...आओ ...हम सब मिलकर पेड़ लगायें....पेड़ हैं तो हम हैं..
वाह........वाह.......उत्तम विचार..
nice
vah re sajag prhari paryavaran ke baare me tum jo soch rahe ho to ab koi dar nahi....
all the best
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