रोड़ों पर जल रही है बिजली ।
देखो कितनी बर्बाद हो रही है बिजली ,
बिजली को पाने के लिए ।
होते रहते शहर-गाँव में धरने तमाम ,
फिर क्यों रोड़ों पर जला रहे दिन में ।
कितनी सारी बिजली ,
बिजली से ही चल रहे कूलर येसी आदि ।
इसलिए हो रही बिजली की बर्बादी ,
लेखक :ज्ञान कुमार
कक्षा :७
अपना घर
कक्षा :७
अपना घर
5 टिप्पणियां:
सही कहा
अच्छा है बिजली की बेवजह बर्बादी नहीं होना चाहिये
ekdam sahi kaha,gyan bhai
ऐसे ही लिखना पर्यावरण को बचाने में आप का भी योगदान चाहिए, अच्छी कविता.
सुन्दर कविता...सार्थक सन्देश..बधाई.
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