शनिवार, 15 मई 2010

कविता दुनियां है बड़ी

दुनियाँ है बड़ी
देखों क्या है ए दुनियाँ ,
सब कोई मनमानी करते दुनियाँ में....
सब कोई रहते दुनियाँ में,
दुनियाँ में से कोई चले जाते हैं....
दुनियाँ का नाम लेकर रह जाते हैं,
दुनियाँ हैं देखो कितनी बड़ी....
आदिमानव ने नहीं पहनी कभी घड़ी,
दोखो क्या हैं ए दुनियाँ .....
लेखक चन्दन कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

2 टिप्‍पणियां:

alka mishra ने कहा…

बच्चे ने अच्छी दूर दृष्टि अपनायी है
आशीर्वाद

माधव( Madhav) ने कहा…

दुनिया बड़ी है पर इसे प्यार से छोटी कर सकते है


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