समय हमें बतलाती है,
नाम घडी कहलाती है।
जब घडी गलत हो जाता है,
तब समय गलत हो जाता है।
आगे करो या पीछे घड़ी,
असमंजस में पड़ता आदमी।
जब भी जल्दी हो देता काम,
ऐसे काम का यही है दाम।
समय हमें बतलाती है,
नाम घडी कहलाती है।
लेखक: सोनू कुमार, कक्षा ८, अपना घर
4 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया, सोनू..शाबास. लिखते रहो.
बहुत बढ़िया
अरे वाह ये घड़ी भी कितनी कमाल की चीज़ है न....बहुत सुन्दर....
love ya
Great poem
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