बुधवार, 28 जून 2023

कविता : "मेरा गांव "

 "मेरा गांव "
 सुन्दर सुसील सा गांव मेरा | 
जिस को मैंने पेड़ों से था घेरा 
कोड़े को हटा हटा  के किया था साफ | 
आज  भी देखते है सुन्दर सा ख्वाफ 
कभी कभी रोया करता था मै अकेले | 
सभी के साथ मैंने बहुत से मैच खेले 
सुन्दर सुसील सा गांव मेरा | 
जिस को मैंने पेड़ो से था घेरा 
कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :7th
अपना घर  

कोई टिप्पणी नहीं: