शनिवार, 24 जून 2023

कविता :"गर्मी "

"गर्मी "
 पसीना से हो गए लतपत | 
कूलर ऐसी लगाओ झटपट 
गर्मी में राहत मिले | 
 जब पंखा चले सर सर सर 
रोक न पाए इस गर्मी को अब | 
झुलस गए पेड़ -पौधे सब 
सूख  गए तालाब नदियां सब | 
निकला जोर से सूरज तब 
पसीना से हो गए लतपत | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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