शुक्रवार, 2 जून 2023

कविता :"हार से सीख "

"हार  से सीख "
 एक बार में कोई कुछ कर नहीं गुजरता | 
कुछ पाने की जिज्ञासा रखना सीख ,
हर बार कोई जीत के हारना नहीं सीखता|  
तू हार  के जीतना सीख ,
सब तो जीत के भी बेहतर करने की सोचते है| 
तू हार के  जीत से बेहतर करने की सीख ,
जीतों से तो  कोई भी जीत लेता है | 
पर तू हारों से सीख लेना सीख ,
अपने मन और आचना को दूसरों के खातिर|  
सीख लेना सीख, कुछ पाने की जिज्ञासा रखना सीख | 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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