शुक्रवार, 18 जून 2021

कविता : " ज़माना अब बदलता जा रहा हैं "

" ज़माना अब बदलता जा रहा हैं "

ज़माना अब बदलता जा रहा हैं | 

लोग और विचार बदलते जा रहें है,

इस घड़ी में सभी को ढ़लना होगा | 

बस कल्पना रहती हैं ,

आने वाले समय का क्या होगा | 

लोगों का भिजाज़ बदल रहा ,

सोंचने का अन्दाज़ बदल रहा | 

रीति -रिवाजें बैण्ड -बाजे ,

सब बदल रहें हैं | 

आने वाला हर कल बदल रहा हैं ,

पढ़ाई करने का स्तर बदल रहा |

तुम्हें बदलना होगा , हम को बदलना होगा ,

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12 

अपना घर

 


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