शुक्रवार, 25 जून 2021

कविता : "रात को सपना देख रहा था "

"रात को सपना देख रहा था "

रात को सपना देख रहा था तो | 

लग रहा था कि मैं बेड पे सो रहा हूँ ,

 सुबह अचानक नींद खुला तो देखा | 

कि मैं तो बेड के नीचे सो रहा हूँ ,

सपनें मैं देखता हूँ तो | 

लगता हैं कि घूम रहा हूँ पूरा संसार ,

अचानक आँख खुलता तो | 

और कहीं होता हूँ पर ,

रात का दिन खांस होता हैं | 

कवि : रोहित कुमार ,कक्षा : 4 

अपना घर

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