" नई किरण "
निकला नया सूरज जब,
नई किरणे कमरे में आई तब |
मैं तो यूँ ही सोया हुआ था,
सपनों की दुनियाँ में खोया था |
प्यारी से एक आवाज़ आई,
लगता था कोई जगाने है आई |
थोड़ी गुनगुनाहट सी आवाज़ आई,
बिस्तर से कोई जगाने है आई |
रेशम की डोरी नया संदेशा लाई,
प्रेम का धागा बांधने है आई |
कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 4th , अपनाघर
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