" हैं बेचैन सभी "
घर जाने को हैं बेचैन सभी,
घर वाले इंतज़ार करते होंगें सभी |
तड़प रहा हूँ यहाँ बेकरार,
घर हो चाहे या हो बिहार |
घर तो जाना है एक बार,
करते होंगें मेरी फरियाद |
आती है हर पल घर की याद | |
कवि : संतोष कुमार , कक्षा 4th , अपनाघर
कवि परिचय : कक्षा 4th में ही कविताएं लिखने लगे है तो ऐसा ही लगता है की आगे चलकर एक अच्छे कविता लेखन बनेगें | इस कक्षा में भी अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | पढ़ाई करने के साथ - साथ एक कविकार बनना चाहते हैं
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