"छोटे - छोटे हाथ हमारे"
छोटे - छोटे हाथ हमारे,
फिर भी करते काम सारे |
कूड़ा हम उठाते हैं,
स्वच्छ हम बनाते हैं |
भारत बहुत बेकार हो गया,
कूड़े का यहाँ भंडार हो गया |
कूड़ा न हम फैलाएंगे,
स्वच्छ भारत हम कहलाएंगे |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें