रविवार, 22 अक्तूबर 2017

कविता :छोटे - छोटे हाथ हमारे

"छोटे - छोटे हाथ हमारे"

छोटे - छोटे हाथ हमारे, 
फिर भी करते काम सारे | 
कूड़ा हम उठाते हैं, 
स्वच्छ हम बनाते हैं | 
भारत बहुत बेकार हो गया,
कूड़े का यहाँ भंडार हो गया  | 
कूड़ा न हम फैलाएंगे, 
स्वच्छ भारत हम कहलाएंगे | 


कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 

कोई टिप्पणी नहीं: