गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

कविता : जब अपना देश था गुलाम,

" जब अपना देश था गुलाम" 

जब अपना देश था गुलाम, 
अंग्रेजों का था यहाँ कोहराम | 
देश में न थी कोई खुशहाली, 
देशवासियों पर करते थे अत्याचारी | 
गाँधी ने देशवासियों का साहस बढ़ाया 
अपने हक़ के लिए विरोध करवाया | 
खाकी धोती और घड़ी लटकाये ,
जीवन में सत्य अहिंसा अपनाये | 
अंग्रेजों को कर दिया मजबूर ,
जाना पड़ा भारत छोड़कर दूर | 
स्वतंत्र हुआ अपना भारत देश,
खुशियों से भर उठा भारत देश | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा 8th ,अपनाघर 


कवि परिचय : हमेशा पढ़ाई में रूचि रखने वाले ये  हैं प्रांजुल कुमार | औरों के साथ हमेशा दोस्तों के तरह बातें करते हैं | कविताएं लिखने मैं रूचि रखते है | खेलने में वॉलीबाल बहुत पसंद है | 

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