"अनजान सा .. "
अनजान सा मैं आया था ,
विदवान सा बन गया |
दुनिया भर की बातें ,
मुझे में भर गया |
गलत और सही सही को मैं समझा ,
अमीरी गरीबी को मैं परखा |
मैं घर और दवार समझा,
मैं भूमि और भूमिका समझा |
हमारा क्या है तुम्हारा क्या ,
उनको भी मैं समझा लेकिन
किसी ने |
माँ की ममता को ,
पिता की पसीने की |
कीमत नहीं समझा ,
नाम =देवा ,class 8th ,अपना घर
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