बुधवार, 28 जून 2017

कविता

गर्मियों की छुट्टियों का ख़त्म हुआ जमाना,
सब कुछ भूलकर अब स्कूल है जाना | 
बच्चे करते पढाई आधा, 
पढ़ते कम खेलते है ज्यादा|  
दिन भर मस्ती मन में गस्ती, 
गुस्से में लड़ाई बाद में दोस्ती | 
पढ़ो लिखो खेलो औरखाओ
दिन भर पढ़ो और मौज उड़ाओ | 
क्या कहे अब ये नादान 
इन्हीं को बनना है महान | 

अपना घर 
हॉस्टल 
               

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