शुक्रवार, 30 जून 2017

"बोझ न बनो दूसरो के सर में "

बोझ न बनो दूसरो के सर में 
ऐसी ख्वाइस है उनकी 
दूसरों की बात भी मनो 
अमल भी करो 
न की किसी दबग करो 
निर्भर रहो अपने आप 
ऐसा करो तुम काम 
कि खास रहो दूसरो के माथे में 
बोझ बनो सिर्फ अपने आप में 
और कुझ करने की ख्वाइस 
रखो अपने ताप में 
दृढ शक्ति से कदम बढ़ा 
"फिर क्या "
मजिल आएगी अपने आप 
से। .. 

                     राज 
                        अपना घर 

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