"पृथ्वी का सहारा"
सुन्दर सा संसार हमारा,
लगता है सबसे प्यारा |
इसको बचा कर रखना यारा,
यही मनोकामना है हमारा |
पानी में भी ढूँढा यारा,
फिर भी न मिला सहारा |
ढूंढ डाला हमने जग सारा,
फिर मिला पृथ्वी का सहारा |
ढूंढना बंद हुआ तब हमारा,
जब मिल गया पृथ्वी का सहारा |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर
कवि परिचय : इस कवि का नाम समीर है | मन से बिलकुल चंचल और दिल से बिलकुल साफ किस्म के इंसान है | इनको गाना गाने का बहुत शौक है और अपने गाने को अपने अंदाज़ में लिखते है | क्रिकेट के बहुत बड़े प्रेमी है | ये गाना बहुत अच्छा गाते हैं | इलहाबाद के रहने वाले समीर अपनी पढ़ाई अपनाघर में रह शिक्षा ग्रहण कर रहे है | इनके माता पिता ईंट भठ्ठे में ईंट निकलने का काम करते है | हमें उम्मीद है की अपनी कविताओं के जरिये हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें