" जिंदगी "
जिंदगी मिली है तो क्यों न जिऊँ,
कल के दिन में आसमान को छुऊँ |
अच्छा इंसान बनने के लिए जिंदगी को चुनूं ,
आसमान के रास्ते में पैदल ही चलूँ |
औरों को ये बात बताऊँ,
सारे समाज को सुनाऊँ |
जिंदगी मिली है तो क्यों न अच्छे से जिऊँ |
कवि : ओमप्रकाश कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर हॉस्टल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें