शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

शीर्षक : हुई बहस

    हुई बहस 
हुई बहस ,
यह कैसी बहस ,
जिंदगीसे जुड़ी  बहस ,
राहों पर है खड़ी बहस ,
इन्तजार करती बस एक घड़ी ,
बहस हो खड़ी ,बहस से लड़ी ,
सुबह सो कर जल्दी उठने की पड़ी ,
न तो बहस हो जायेगी खड़ी ,
शाम नींदों से भरी ,
रात सोने की पड़ी ,
ये जिंदगी की घड़ी ,
हमको है जीने की पड़ी ,
हो हाथो में छड़ी ,
बहस दूर हो जाए कड़ी ,
नाम :हंसराज कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर , कानपुर 

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Bahut badiya ase he likhte rahe