मंगलवार, 29 मई 2012

कविता :- ग्लोबल वार्मिंग

कविता :- ग्लोबल वार्मिंग 
बढ़ रहा है  ग्लोबल वार्मिंग....
नष्ट हो रही हैं जिन्दगी,
पेड़ पौधे हो रहे है कम....
पानी का स्थर गया है जम,
ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए....
खूब पेड़ लगाओ,
ग्लोबल वार्मिंग हटाओ....
मनुष्य की जिन्दगी में बढोत्तरी पाओ,
नाम : चन्दन कुमार
कक्षा : 7
अपना घर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

very nice app ki thinking achhi hai mani apne puri koshish karoongi thnak u