कविता :- कदम
एक ने बोला....
किसमें है दम,
जो आगे बढ़ाये....
अपने कदम ....।,
हर वीरों की मायें जानती है....
फिर भी अपने बेटों को सीमा पर भेजती,
जिन्होनें न मानी कभी हार....
शहीद हुए वह देश के खातिर,
उस क्रांति को और बढ़ाएं....
अपने कदम से कदम बढ़ाएं,
भ्रष्ट है देश अपना भ्रष्टाचारी से....
नेता,अफसर जेब है भरते घूंस के रुपयों से,
आओ अपने देश को मुक्त करें....
जब तक न हो देश में शांति,
तब तक करते रहो क्रांति....
क्रांति हमारी उज्जवल हो,
नव जीवन मंगलमय हो....
पूर्ण न हो जब तक अपना मुकाम,
तब तक बढ़ाएं हम अपने कदम....
नाम : आशीष कुमार
कक्षा : 10
अपना घर
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