गुरुवार, 1 सितंबर 2011

कविता भ्रष्टाचार

 भ्रष्टाचार
१५ अगस्त हम सबने हैं मनाया ,
सबने खूब मिठाई हैं खाया .....
क्या हम पूर्ण रूप से हैं क्या आजाद,
ये नेता तो कर रहे हैं देश  बरबाद .....
अग्रेजो से तो हो गये  आजाद ,
ये भ्रष्ट नेता कर रहे हैं देश बरबाद.....
क्या ये गांधी सुभाष के  हैं सपनों का देश, 
यहाँ भ्रष्टाचारी रहते हैं बदल के भेष ......
अन्ना के अब इस आन्दोलन से  ये ,
पूरा देश लगा रहा हैं नारे .....
  भ्रष्टाचार ख़त्म करने में अब,
पूरा देश हैं साथ तुम्हारे ......

लेख़क -धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर

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