शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

कविता - सैर चलो हम करे

  सैर चलो हम करे
चलो हम सैर करे ,
किसी से बैर न करे......
लड़ाई किसी से न करे,
सभी बच्चो ने देखा चीता....
लेकिन मैंने देखी सूत ,
वही से निकल पड़ा भूत.....
हम अब सैर नहीं करेगे ,
क्योकि मिल जाता हैं रास्ते में भूत....

 लेखक  - चन्दन कुमार 
 कक्षा - ६ अपना घर , कानपुर

2 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत प्यारी कविता

prerna argal ने कहा…

बहुत ही अनोखे ढंग से लिखी सार्थक रचना /बधाई आपको /





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