काली रात
रात हुई सुबह .सुबह हुई शाम ,
शाम हो गयी काली रात ....
छाया था चारो तरफ सन्नाठा,
सन्नाठे के डर से मैं झाड़ियो के पीछे था बैठा......
सोच ही रहा कि कब होगा उजाला ,
तब तक पास वाली झाड़ी से एक खतरनाक जानवर निकला.......
देखते ही देखते उन जानवरों ने ले लिया डेरा ,
मन ही मन कह रहा था कि कब होगा सबेरा ........
क्योंकि इन जानवरों ने लगा लिया हैं डेरा ,
यदि मुझे देख लिया तो क्या होगा मेरा .......
कुछ ही देर में बन गया मानव ,
एक ने कहाँ कि लोगो की सेवा करेगे हम मानव.......
उनमे से एक आया मेरे पास ,
मैं डर के मारे हो गया उदास ........
उसने मुझे पकड़ा और सब के पास लाया,
मेरे बारे में सबको उसने बताया ........
कहाँ कि यह हैं हमारे राजा ,
हम हैं इनकी प्रजा .......
थोड़ी ही देर में बीती काली रात,
दोस्तों अब मेरी कविता हुई समाप्त......
रात हुई सुबह .सुबह हुई शाम ,
शाम हो गयी काली रात ....
छाया था चारो तरफ सन्नाठा,
सन्नाठे के डर से मैं झाड़ियो के पीछे था बैठा......
सोच ही रहा कि कब होगा उजाला ,
तब तक पास वाली झाड़ी से एक खतरनाक जानवर निकला.......
देखते ही देखते उन जानवरों ने ले लिया डेरा ,
मन ही मन कह रहा था कि कब होगा सबेरा ........
क्योंकि इन जानवरों ने लगा लिया हैं डेरा ,
यदि मुझे देख लिया तो क्या होगा मेरा .......
कुछ ही देर में बन गया मानव ,
एक ने कहाँ कि लोगो की सेवा करेगे हम मानव.......
उनमे से एक आया मेरे पास ,
मैं डर के मारे हो गया उदास ........
उसने मुझे पकड़ा और सब के पास लाया,
मेरे बारे में सबको उसने बताया ........
कहाँ कि यह हैं हमारे राजा ,
हम हैं इनकी प्रजा .......
थोड़ी ही देर में बीती काली रात,
दोस्तों अब मेरी कविता हुई समाप्त......
लेख़क -आशीष कुमार
कक्षा - ९ अपना घर .कानपुर
कक्षा - ९ अपना घर .कानपुर
2 टिप्पणियां:
HAR RAAT KE BAAD SAVERA AATA HAI AUR DAAR KE AAGE JEET HAI YAHI HAME SHEKHATA HAI........THANKS, BAHUT ACCHA KAVITA LIKHNE KE LIY
हर काली रात के बाद एक सुखद सबेरा ज़रूर आता है... बहुत अच्छी लगी ये कविता..
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