हर उमगों से
मन की हर उमगों से ,
ये जीवन भरा हैं तरंगो से.....
हर एक की अपनी उमगें,
निकल रही उसमें तरंगें .....
कैसी हैं हर उमगें ,
नहीं निकलेगी ज्वाला की तरंगें.....
मिला दो उसमे ऐसी उमगें ,
मिट जाए उसकी तरंगें .....
मन की हर उमगों से ,
ये जीवन भरा हैं तरंगों......
मन की हर उमगों से ,
ये जीवन भरा हैं तरंगो से.....
हर एक की अपनी उमगें,
निकल रही उसमें तरंगें .....
कैसी हैं हर उमगें ,
नहीं निकलेगी ज्वाला की तरंगें.....
मिला दो उसमे ऐसी उमगें ,
मिट जाए उसकी तरंगें .....
मन की हर उमगों से ,
ये जीवन भरा हैं तरंगों......
लेखक - अशोक कुमार
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर
2 टिप्पणियां:
बहुत दिन बाद आज आकर फिर अच्छा लगा!!!
सचमुच जीवन भरा है तरंगों से ....अच्छी कविता!
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