खगोल वैज्ञानिक हैं अनमोल ,
करते रहते प्रथ्वी को पोल ।
न जाने क्या करते खोज ,
करते हैं प्रथ्वी के ऊपर बोझ ।
इस बोझ से पता नहीं क्या होयेगा ,
इस प्रथ्वी से पता नहीं क्या खोएगा ।
खगोल वैज्ञानिक प्रथ्वी की खोलते पोल ,
२०१२ का बजाते रहते ढोल ।
खगोल वैज्ञानिक हैं अनमोल ,
करते रहते प्रथ्वी को पोल ।
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : ६
अपना घर
कक्षा : ६
अपना घर
2 टिप्पणियां:
jyaanji aap to bahut achhi kavita likhate hai. holi ki der saari subhakamanaaye.
अच्छी कविता है ! बक अप !
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