गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

कविता: कैसे अपना संसार बना

कैसे अपना संसार बना

कई मोहल्लो से मिलकर बनता गाँव,
वंहा पर मिलती सबको पेड़ो की छाँव।
गाँव मिलाकर बनती ग्राम पंचायत,
गर्मी में जब पानी पीते तब मिलती राहत।
ग्राम पंचायत मिलकर ब्लाक है बनता,
अब कोई किसी की नहीं है सुनता।
ब्लाक मिलाकर बनती तहसील ,
दुनिया में तो सबसे होती भूल।
तहसील मिलाकर जिला है बनता,
हर इंसा हर एक पर हँसता।
जिला मिलाकर राज्य है बनता,
हर राज्य में मुख्य मंत्री है रहता।
राज्य मिलाकर बनता देश,
सबका अपना रंग बिरंगे वेश
देश मिलाकर बनते महाद्वीप,
दिवाली में आओ जलाये तेल के दीप।
महाद्वीप मिलाकर ग्रह है बनता,
पृथ्वी ग्रह पर ही जीवन मिलता।
जिसमे हम सब है प्यार से रहते,
संसार को हम सब मिलकर रचते ।

लेखक: आशीष कुमार, कक्षा ७, अपना घर, कानपुर

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया ज्ञानवर्धक और अच्छा संदेश देती रचना. आशीष को बधाई.