बाल सजग
बच्चों का आकाश .... बच्चों के लिए
सोमवार, 15 फ़रवरी 2010
कविता: खेल
खेल
ये खेल है भाई कैसा ,
जिसमें मजा आये ।
पर लगे न पैसा ,
हम भी खेले तुम भी खेलो ।
आओ नहीं लगेगा पैसा ,
पर आयेगा मजा वैसा ।
जो कभी खेल खेला न होगा ऐसा ,
ये खेल है भाई कैसा ।
लेखक
:
ज्ञान
कुमार
कक्षा
:
६
अपना
घर
2 टिप्पणियां:
Udan Tashtari
ने कहा…
बढ़िया है.
16 फ़रवरी 2010 को 3:44 am बजे
Randhir Singh Suman
ने कहा…
nice
16 फ़रवरी 2010 को 8:17 am बजे
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2 टिप्पणियां:
बढ़िया है.
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