रविवार, 4 अगस्त 2024

कविता : "समय "

 "समय "
जीवन का पल-पल एक सोना है ,
कब बीता समय लौट नहीं पाता | 
इनका न एक पल भी खोना है ,
जो पल को न  संभल सका | 
उसे क्या पाता दिन और रात ,
मंजिल के ओर बढ़ते कदम भी  |
बरबस होकर पीछे को मुड़ जाता है |
जो इंसान पल को नहीं समझा ,
वह आगे कभी नहीं बढ़ता है | 
जो उपयोग करता है पल का,
वह उच्च शिखर पर पहुँचता है | 
कवि :संतोष कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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