मंगलवार, 20 अगस्त 2024

कविता:"गलियां "

 "गलियां "
ये सुनसान सी गालिया ,
पता नहीं कहा तक जाती है | 
ये संघर्ष की मंजिल ,
पता नहीं कहा से आती है | 
अँधेरे से भरा है पूरी दुनिया ,
पता नहीं कब लोग जागेंगे | 
एक नई राह की तलाश में ,
कब हमारा साथ अपनाएंगे | 
ये सुनसान सी गलियां ,
पता नहीं कब होगा हमारा | 
कवि : रोहित कुमार ,कक्षा :7th 
अपना घर 

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