शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

कविता :"गर्मी "

"गर्मी "
गर्मी है या फि आग का गोला ,
गरम हवा या आग का प्याला | 
मुरझा दिया फिर नए पत्ते ,
सुखा दिया फिर ठंडे तालाब | 
ख़त्म हो गया वो हर चीज ,
जो प्रकृति ने था संभाला | 
गर्मी है या आग का गोला ,
लू चलती है आवाजे आते है | 
धूल साथ मे गर्म हवा पास में ,
गर्मी है या आग का गोला | 
कवि :रोहित कुमार ,कक्षा 7th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं: