गुरुवार, 8 अगस्त 2024

कविता :"समय "

"समय "
बहुत वक्त गुजर गया ,
 घडी को देख-देख  कर | 
बहुत देर से एक ही आवाज ,
सुनाई दे रहा घर-घर | 
दस बजे से देखना शुरू किया था ,
बज गए अब घडी में चार | 
पांच बजे खेलने जाएंगे,
वह समय हो जायेगा बर्बाद | 
छै बजे से फर पड़ने बैठेंगे ,
 वही पर थोड़ा सा ही-ही ,हा -हा करेंगे | 
बजा देंगे घडी में आठ ,
फिर खाना खाएंगे मिनट साठ | 
बहुत वक्त गुजर गया।,
घडी को देख-देख कर | 
कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

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