शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

कविता :"राह "

 "राह "
राह  जिस पर जिंदगी होती है शुरू ,
चल देते है अपने मकसद को लेकर | 
जिंदगी में लोगे खाते है ठोकर ,
फिर भी मुस्कुराते रहते है | 
नदी भी हमे कुछ बता जाती है ,
रुकना नहीं है सिखा जाती है| 
जिंदगी में आएगा  रूकावट,
उससे पार करना सीखा जाती है | 
चाह वाला राह सही होता है ,
बस कुछ बनने का अपना होता है | 
कवि :अजय कुमार,कक्षा :10th 
अपना घर 
  

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