" आज़ादी का दिन "
अब आया फुल आज़ादी का दिन,
जिओ जिंदगी 370 धरा के बिन |
रोक जो था कश्मीर के जमीं पर
जो था बंधन घूमने वालों पर,
अब वह रह सकते है जिंदगी भर |
खाना हैं वहां पेट भर |
बिना किसी परेशानी और उदासी के बिन,
अब आया फुल आज़ादी का दिन |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपनाघर
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर कवितायेँ लिखने के साथ साथ गीत भी गाते हैं | समीर एक सिंगर बनना चाहते हैं |
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