" जिसे मैं देख न सका "
क्या वो चीज है,
जिसे मैं देख नहीं सका |
आँखों के पलकों से गुजर गया,
ये ठंडी हवा का झोका था |
जिसे मैं देख न सका | |
चन्द्रमा जैसी मुस्कान थी,
खुशियों की बौछार थी |
जिसे मैं देख न सका |
ये माँ का गोद था,
जिस पर मैं खो गया था |
जिसे मैं देख न सका | |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
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