शनिवार, 1 दिसंबर 2018

कविता : मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ

" मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ "

मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं आसमान को छूकर दिखाऊँगा |
मुझे पढ़ने की सारी उपलब्धियाँ नहीं
मिली तो फिर क्या हुआ,
मैं कैंडल से पढ़कर
अपने जीवन में रौशनी ला दूँगा |
मैं छोटे से जाति से हूँ तो क्या हुआ,
मेहनत के बल पर सब कर दिखाऊंगा |
मुझे अपने ख्वाबों को सजाना है,
हर गरीब के जीवन को रोशन करना है |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
उड़न के बल पर आसमान में लहराऊंगा |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं अपनी पहचान बनाकर दिखाऊंगा |

                                                                                                                   कवि : सार्थकुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं पर वर्तमान काल में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है और वह एक स्पोर्ट्स मैन बनने के लिए दिन भर अभ्यास करता रहता है | सार्थक कुछ बनकर अपने परिवार वालों को उस जिंदगी से बाहर कर उन्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहता है |

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