" साल की पहली बरसात "
कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |
देखते रहते थे हम आसमान को,
कहीं दिख जाए काले घटा हमको |
हुई अचानक एक ऐसी घटना,
पड़ा मुझे छज्जे के निचे छुपना |
आ गई साल की पहली बरसात,
बूंदों की हुई जमीं से मुलाकात |
देखा जब काला घटा का रंग,
जैसे लग रहा था बरसात जाएगा तुरंत |
सुनहरी - सुनहरी जब बुँदे बरसे,
पानी के लिए अब नहीं तरसे |
तब जाके हमको सुकून मिली,
बारिश के संग कुछ बूंदें गिरी |
चरों तरफ हरियाली अब छाई,
मुरझाए हुए घास की मुस्कान खिली |
कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |
कवि : नितीश कुमार : कक्षा : 8th , अपना घर
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