" बुखार, सर्दी और जुखाम "
बुखार, सर्दी और जुखाम
परेशान करे दिनभर ,शाम |
कर न पाए कोई भी काम,
कर दे हमेशा यह बदनाम |
बुखार, सर्दी और जुखाम,
परेशान करे दिनभर शाम |
न तुम स्कूल जा पाओ ,
न चैन से कुछ खा पाओ |
ये मौसम है बहुत खतरनाक,
कभी जुखाम में बहता है नाक |
खा न पाओ एक पपीता,
समीर ने बनाई यह कविता |
जैसे कोई पकडे हो कान,
सर्दी से बचना नहीं है आसान |
बुखार, सर्दी और जुखाम,
परेशान करे दिनभर शाम |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह समीर की कविता है जिसका शीर्षक है बुखार सर्दी औरजोखम | इस कविता से यह सीख मिलती है की सर्दी को कभी भी हलके में नहीं लेना चाहिए | समीर को गीत गाने का बहुत शौक है और क्रिकेट खेलने का भी शौक है |
1 टिप्पणी:
Very nice poem!
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