शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

कविता : बुखार, सर्दी और जुखाम

" बुखार, सर्दी और जुखाम "

बुखार, सर्दी और जुखाम 
परेशान करे दिनभर ,शाम | 

कर न पाए कोई भी काम, 
कर दे हमेशा यह बदनाम | 
बुखार, सर्दी और जुखाम, 
परेशान करे दिनभर शाम | 
न तुम स्कूल जा पाओ ,
न चैन से कुछ खा पाओ | 
ये मौसम है बहुत खतरनाक,
कभी जुखाम में बहता है नाक |  
खा न पाओ एक पपीता,
समीर ने बनाई यह कविता | 
जैसे कोई पकडे हो कान,
सर्दी से बचना नहीं है आसान | 
बुखार, सर्दी और जुखाम, 
परेशान करे दिनभर शाम | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह समीर की कविता है जिसका शीर्षक है बुखार सर्दी औरजोखम | इस कविता से यह सीख मिलती है की सर्दी को कभी भी हलके में नहीं लेना चाहिए | समीर को गीत गाने का बहुत शौक है और क्रिकेट खेलने का भी शौक है | 

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Very nice poem!