" हौशलों के उस सागर में "
हौशलों के उस सागर में,
लहरें चलती रहती हैं |
छोटे से नाव साहस से,
मंजिल की ओर चलती है
तन छोटा है तो क्या ,
साहस बड़ा होना चाहिए |
बड़ी मंजिल है तो क्या,
पाने का जज्बा होना चाहिए
पैर थक जाते हैं पर ,
साहस को मत थकने देना |
जितनी भी कोशिश हो ,
मंजिल को पाकर ही दम लेना |
नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अभी अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल पढ़ने के साथ ही साथ कवितायेँ भी बहुत लिखते हैं और चित्रकला भी बहुत बनाते हैं | प्रांजुल एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |
4 टिप्पणियां:
वाह...
शानदार
सादर
होसलों कर लें।
सुन्दर
हौसले
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन डाकिया डाक लाया और लाया ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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