गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

कविता : खुशियाँ फिर आएंगी

" खुशियाँ फिर आएंगी "

अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी | 
बस धैर्यता का साथ चाहिए,
बस थोड़ा विश्वास भी चाहिए | 
हर वो ख्वाब पूरे होंगे , 
हम खुशियों के रंग में झूमेंगे | 
अपने सपनों को सच कर पाएँगे,
हम एक नई दुनियाँ बनाएँगे | 
जिसमें चन्द्रमा बच्चों को कहानी सुनाएंगे 
बच्चे अपने दोस्त के लिए ताली बजाएँगे | 
अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जिसने यह कविता लिखी है और देवराज बिहार का रहने वाला है जो अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर  रहा है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है साथ ही साथ डांस करना और चित्र बनाना बहुत अच्छा लगता है | 

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