" खुशियाँ फिर आएंगी "
अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी |
बस धैर्यता का साथ चाहिए,
बस थोड़ा विश्वास भी चाहिए |
हर वो ख्वाब पूरे होंगे ,
हम खुशियों के रंग में झूमेंगे |
अपने सपनों को सच कर पाएँगे,
हम एक नई दुनियाँ बनाएँगे |
जिसमें चन्द्रमा बच्चों को कहानी सुनाएंगे
बच्चे अपने दोस्त के लिए ताली बजाएँगे |
अपने घर भी खुशियाँ आएँगी,
अपने घर भी रंग छाएँगी |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं देवराज जिसने यह कविता लिखी है और देवराज बिहार का रहने वाला है जो अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है साथ ही साथ डांस करना और चित्र बनाना बहुत अच्छा लगता है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें